मोदी जी का जन्मदिवस vs राष्ट्रीय बेरोजगारी दिवस

 वर्तमान समय में देश जितने संकटों का सामना कर रहा है शायद ही आजाद भारत में ऐसा कोई संकट आया हो ।


संकट आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, विदेश नीति, सब कुछ है 


इसी बीच  जो सबसे बड़ा आंतरिक संकट है वो है बेरोजगारी,,, 

वर्तमान सरकार चीनी सीमा विवाद में इतनी व्यस्त हो गई इस रोजगार के संकट पर बात करना ही भूल गई, और रही सही कसर देश की मीडिया ने पूरी कर दी,,


देश का असली मुद्दा है रोजगार जिस पर मीडिया का कोई ध्यान ही नहीं है । 

मीडिया को चिंता है बस रिया, सुशांत, कंगना, उद्धव, रविकिशन और अब जया बच्चन की


मीडिया देश का चोथा स्तंभ है लेकिन अब शायद यह स्तंभ कमजोर हो गया।


आज देश के यशस्वी प्रधान मंत्री का जन्मदिवस है जिसे बहुत बडी संख्या में युवा राष्ट्रीय बेरोजगार दिवस के रूप में बना रहे है


कभी सोचा है कि ऐसी नौबत क्यों आयी, जिस प्रधान सेवक। को देश की जनता ने प्रचंड बहुमत से सत्ता दिलवाई आज उन्ही के जन्मदिवस को बेरोजगार दिवस के रूप में क्यों मान लिया गया। 


कही ना कही चूक तो प्रधान सेवक। से भी हो गई है। 


प्रधान सेवक के सामने बहुत चुनौतियां है और सामना भी उन्ही को करना है लेकिन सबके हितो को ध्यान में रखकर,,,

आज देश में ये स्थिति है। कि यदि भर्ती निकलती है तो उसका इम्तिहान नहीं होता 

इम्तिहान होता है तो उसका परिणाम नहीं 

परिणाम आए तो ज्वाइनिंग नहीं 

एक भर्ती प्रिक्रिया में पूरे 2 से 3 वर्ष लग जाते है 

इस बात पर संदेह नहीं किया जा सकता की मोदी जी शानदार प्रधान सेवक है लेकिन देश के रोजगार के गंभीर मुद्दों पर ध्यान भी उन्ही को देना होगा। 

मीडिया जिसे ये सब बात रखनी चाहिए वो बॉलीवुड मसाले से बाहर ही नहीं आ पा रही है। 


संकट की घड़ी है धैर्य से इसका सामना करना होगा, और कर भी रहे है । 

लेकिन निजी शिक्षकों के धैर्य की परीक्षा कब तक चलेगी,, 

जितनी दुर्गति निजी शिक्षकों कि हुई है वो छिपी हुई नहीं है,, इस संकट। की घड़ी में वो तो अपना अस्तित्व ही खो चुके है। 

उम्मीद है उनके हित के लिए भी कुछ ना कुछ सोचा होगा,,

देश की मीडिया। को समझना होगा देश का गंभीर मुद्दा सुशांत, रिया, कंगना नहीं बल्कि करोड़ों बेरोजगार है। 

लाखो निजी शिक्षक है  जो अपना वजूद खो चुके है ,, 

मीडिया को इन मुद्दों पर भी बहस करनी चाहिए ।

धन्यवाद 

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